Shukra Pradosh Vrat Katha सारे कष्टों को दूर करने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा : हमारे हिंदू धर्म के अनुसार शुक्र त्रयोदशी व्रत के दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत किया जाता हैं। शुक्र प्रदोष व्रत कथा करने से साधक को भगवान् शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं और अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करके अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता हैं। इसलिए शुक्र प्रदोष व्रत को बहुत मंगलकारी व लाभकारी बताया गया है। वैसे हर वार में आने वाले प्रदोष व्रत कथा के अलग-अलग ही फायदे और लाभ बताये गये हैं। इसलिए यंहा हम केवल Shukra Pradosh Vrat Katha के बारे में बताने जा रहे हैं।
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Shukra Pradosh Vrat Katha सारे कष्टों को दूर करने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा
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शुक्र प्रदोष व्रत कथा का महत्व
शुक्र त्रयोदशी प्रदोष व्रत करने से आरोग्य लाभ होता है। इसके अतिरिक्त वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है एवं सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर शिवधाम को पाता है ।शिव जी हमारे सारे कष्टों को दूर कर सुख समृद्धि प्रदान करें । सूत जी बोले –
॥ दोहा ॥
“अभीष्ट सिद्धि की कामना, यदि हो ह्रदय विचार। धर्म, अर्थ, कामादि, सुख, मिले पदारथ चार ॥”
शुक्र प्रदोष व्रत कथा के लाभ एवं फायदे
- Shukra Pradosh Vrat Katha करने से साधक की हर इच्छा पूर्ण होती हैं।
- इस Shukra Pradosh Vrat Katha को करने से जातक को धर्म, अर्थ, काम आदि का सुख प्राप्त होती हैं।
- Shukra Pradosh Vrat Katha करने से जातक के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
शुक्र प्रदोष (त्रयोदशी) व्रत कथा
Shukra Pradosh Vrat Katha के अनुसार प्राचीनकाल की बात है, एक नगर में तीन मित्र रहते थे – एक राजकुमार, दूसरा ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार व ब्राह्मण कुमार का विवाह हो चुका था। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, किन्तु गौना शेष था । एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- ‘नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।’ धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्नी को लाने का निश्चय किया।
माता-पिता ने उसे समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं। ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं होता। किन्तु धनिक पुत्र नहीं माना और ससुराल जा पहुंचा। ससुराल में भी उसे रोकने की बहुत कोशिश की गई, मगर उसने जिद नहीं छोड़ी।
माता-पिता को विवश होकर अपनी कन्या की विदाई करनी पड़ी। ससुराल से विदा हो पति-पत्नी नगर से बाहर निकले ही थे कि उनकी बैलगाड़ी का पहिया अलग हो गया और एक बैल की टांग टूट गई। दोनों को काफी चोटें आईं फिर भी वे आगे बढ़ते रहे। कुछ दूर जाने पर उनकी भेंट डाकुओं से हो गई। डाकू धन-धान्य लूट ले गए । दोनों रोते-पीटते घर पहूंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलवाया। वैद्य ने निरीक्षण के बाद घोषणा की कि धनिक पुत्र तीन दिन में मर जाएगा।
जब ब्राह्मण कुमार को यह समाचार मिला तो वह तुरन्त आया। उसने माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने का परामर्ष दिया और कहा- ‘इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें। यह सारी बाधाएं इसलिए आई हैं क्योंकि आपका पुत्र शुक्रास्त में पत्नी को विदा करा लाया है। यदि यह वहां पहुंच जाएगा तो बच जाएगा।’ धनिक को ब्राह्मण कुमार की बात ठीक लगी। उसने वैसा ही किया। ससुराल पहुंचते ही धनिक कुमार की हालत ठीक होती चली गई। शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट टल गए।
संदर्भ: इस Shukra Pradosh Vrat Katha सारे कष्टों को दूर करने के लिए शुक्र प्रदोष व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा की पोस्ट में आपको शुक्र त्रयोदशी व्रत कथा बताई जा रही हैं, जिसे आप शुक्र प्रदोष व्रत पूजा में पढ़कर अपनी पूजा को पूरी कर सकते हैं।