Sheetla Ashtakam Stotram शीतलाष्टक का पाठ करने या पढ़ने से मिलेगा आरोग्य का शुभ वरदान : यह शीतलाष्टक माँ शीतला माता जी को समर्पित हैं। शीतलाष्टक संस्कृत में है। शीतलाष्टक का स्कंद पुराण में वर्णित है। शीतलाष्टक का नियमित रूप से पाठ करने पर माँ शीतला माता जी मुख्य रूप से आग, गर्मी, जलने और इसी तरह के सभी प्रकार के मृतकों को हटाने के लिए है। देवी शीतला विस्फोट, आग, दुर्घटनाओं और गर्मी से अत्यधिक बचाती है। माँ शीतला माता जी से और सुरक्षा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किसी को Sheetla Ashtakam को पढ़ना चाहिए । हम यहां आपको शीतलाष्टक आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।
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Sheetla Ashtakam Stotram शीतलाष्टक का पाठ करने या पढ़ने से मिलेगा आरोग्य का शुभ वरदान
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शीतलाष्टक
विनियोगः
ॐ अस्य श्रीशीतलास्तोत्रस्य महादेव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीशीतला देवता, लक्ष्मी (श्री) बीजम्, भवानी शक्तिः, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगः ।।
ऋष्यादि-न्यासः
श्रीमहादेव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीशीतला देवतायै नमः हृदि, लक्ष्मी (श्री) बीजाय नमः गुह्ये, भवानी शक्तये नमः पादयो, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।।
ध्यानः
ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम्।।
मानस-पूजनः
ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ वं जल-तत्त्वात्मकं नैवेद्यं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्री शीतला-देवी-प्रीतये समर्पयामि नमः।
ईश्र्वर उवाच ॥
वंदेऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगंबराम् ।
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम् ॥ १ ॥
वंदेऽहं शीतलां देवीं सर्वरोगभयापहाम् ।
यामासाद्य निवर्तेत विस्फोटकभयं महत् ॥ २ ॥
शीतले शीतले चेति यो ब्रूयाद्दाहपीडितः ।
विस्फोटकभयं घोरं क्षिप्रं तस्य प्रणश्यति ॥ ३ ॥
यस्त्वामुदकमध्ये तु धृत्वा पूजयते नरः ।
विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥ ४ ॥
शीतले ज्वरदग्धस्य पूतिगंधयुतस्य च ।
प्रनष्टचक्षुषः पुंसस्त्वामाहुर्जीवनौषधम् ॥ ५ ॥
शीतले तनुजान् रोगान्नृणां हरसि दुस्त्यजान् ।
विस्फोटकविदीर्णानां त्वमेकामृतवर्षिणी ॥ ६ ॥
गलगंडग्रहा रोगा ये चान्ये दारुणा नृणाम् ।
त्वदनुध्यानमात्रेण शीतले यांति संक्षयम् ॥ ७ ॥
न मंत्रो नौषधं तस्य पापरोगस्य विद्यते ।
त्वामेकां शीतले धात्रीं नान्यां पश्यामि देवताम् ॥ ८ ॥
मृणालतंतुसदृशीं नाभिहृन्मध्यसंस्थिताम् ।
यस्त्वां संचिंतयेद्देवि तस्य मृत्युर्न जायते ॥ ९ ॥
अष्टकं शीतलादेव्या यो नरः प्रपठेत्सदा ।
विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ॥ १० ॥
श्रोतव्यं पठितव्यं च श्रद्धाभक्तिसमन्वितैः ।
उपसर्गविनाशाय परं स्वस्त्ययनं महत् ॥ ११ ॥
शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता ।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ॥ १२ ॥
रासभो गर्दभश्र्चैव खरो वैशाखनंदनः ।
शीतलावाहनश्र्चैव दूर्वाकंदनिकृंतनः ॥ १३ ॥
एतानि खरनामानि शीतलाग्रे तु यः पठेत् ।
तस्य गेहे शिशूनां च शीतलारुङ् न जायते ॥ १४ ॥
शीतलाष्टकमेवेदं न देयं यस्यकस्यचित् ।
दातव्यं च सदा तस्मै श्रद्धाभक्तियुताय वै ॥ १५ ॥
॥ इति श्रीस्कंदपुराणे शीतलाष्टकस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
शीतलाष्टक का पाठ पढ़ने के फ़ायदे
- Sheetla Ashtakam का नियमित रूप से पाठ करने पर माँ शीतला माता जी का आशीर्वाद बना रहता हैं।
- विस्फोट, आग, दुर्घटनाओं, गर्मी, जलने और इसी तरह के सभी प्रकार के मृतकों को हटाने के लिए Sheetla Ashtakam का नित्य रूप से पाठ करना लाभकारी रहता हैं।
संदर्भ: इस Sheetla Ashtakam Stotram शीतलाष्टक का पाठ करने या पढ़ने से मिलेगा आरोग्य का शुभ वरदान की पोस्ट में आपको शीतलाष्टक पाठ करने से आपके जीवन में कौनसी परेशानी दूर हो सकती हैं। इसके बारे में कुछ जानकारी यहां देखने को मिलेगी।