Gupt Navratri Ka Mahatva जानें गुप्त नवरात्रि पूजा के लाभ और इसका महत्व : यह तो सब जानते है की हमारे हर साल दो बार नवरात्रा का उत्सव बड़ी धूमधाम से बनाया है पर क्या आप जानते है की वर्ष में नवरात्रा दो बार नही बल्कि चार बार आते है जी हाँ दो नवरात्रा को गुप्त नवरात्र कहा जाता हैं। वैसे आपने गुप्त शब्द से कुछ आईडिया लगा लिया होगा जैसा नाम वैसा काम गुप्त नवरात्रा को गुप रूप से किये जाते हैं। गुप्त नवरात्र में किये गये उपाय, मंत्र, साधना या कोई सी भी पूजा पाठ और दिनों से जल्दी सिद्ध व प्रभाव देती है।
Gupt Navratri Ka Mahatva जानें गुप्त नवरात्रि पूजा के लाभ और इसका महत्व
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गुप्त नवरात्रि का महत्व
– देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार Gupt Navratri में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
– गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
– माघ और आषाढ़ नवरात्रि जिसे गुप्त नवरात्री या वरही नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है नौ दिवसीय वराही देवी को समर्पित उत्सव है। Gupt Navratri के दिन तांत्रिकों और साधकों के लिए बहुत ही शुभ माने जाते है।
– उपवास रख कर और श्लोकों और मंत्रों का जप करके भक्त देवी के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते है। यह माना जाता है कि इस नवरात्री के दौरान देवी तुरंत भक्तों की प्रार्थनाओं पर ध्यान देती हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। वराही देवी को तीन रूपों में पूजा की जाता है: दोषों को हटाने वाली धन और समृद्धि का उपहार देने वाली और ज्ञान की देवी।
गुप्त नवरात्रि पूजा के लाभ
– Gupt Navratri पूजा तांत्रिक पूजा के लिए भारत के कई हिस्सों में प्रसिद्ध है। यह शक्ति की प्राप्ति के लिए और धन समृधि और ज्ञान प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है।
– देवी दुर्गा संकट के उन्मूलन के लिए जानी जाती है। देवी दुर्गा व्यथित लोगों के प्रति दया दिखाती है। इस Gupt Navratri में दुर्गा सप्तशती के पाठ को पढ़ा जाता है।
गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां
Gupt Navratri के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।