Phulera Dooj Vrat Katha फुलेरा दूज व्रत में जरूर पढ़े यह फुलेरा दूज व्रत की कथा, मिलेगा इस व्रत और पूजा का पूरा लाभ : इस वर्ष फुलेरा दूज का पवित्र पर्व 12 मार्च को मनाया जा रहा हैं। हमारे हिंदू धर्म में प्रत्येक त्यौहार की तरह ही फुलेरा दूज का बहुत अधिक महत्व माना गया है। यह तो आप सब जानते हो की फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष में आने वाली द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता हैं। इसलिए इस दिन बिना ग्रह स्थिति देखें आप अपना कोई कार्य कर सकते हैं।
हमारे सनातन धर्म के मान्यताओं अनुसार फुलेरा दूज के दिन भगवान श्री राधा-कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना करने का विधान हैं। फुलेरा दूज वाले दिन मथुरा में फूलों की होली खेली जाने की मान्यता है। फुलेरा दूज के व्रत वाले दिन फुलेरा दूज व्रत कथा का पाठ पूजा पाठ करते समय अवश्य करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज के दिन Phulera Dooj Vrat Katha का पाठ करने से मनुष्य को श्री राधा-कृष्ण जी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
Phulera Dooj Vrat Katha फुलेरा दूज व्रत में जरूर पढ़े यह फुलेरा दूज व्रत की कथा, मिलेगा इस व्रत और पूजा का पूरा लाभ
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भगवान् श्रीकृष्ण अतिव्यस्तता के कारण राधा जी से नहीं मिल पाए। कृष्ण जी के न मिलने से राधा जी उदास और गुमशुम रहने लगी। उन्होंने हंसना और मुस्कुराना बंद कर दिया। इससे वहां के उपवन मुरझा गए, फूल पत्तियां सूखने लगी। बागों का सौंदर्य जाने लगा। तितलियों ने उड़ना, पक्षियों ने चहचहाना छोड़ दिया। यमुना जी भी बहना भूल गई। चारों और उदासी, निराशा छाने लगी। एक कृष्ण के न मिलने से यही स्थिति गोपियों कि भी थी। गोपियाँ भी राधा जी कि तरह उदास निराश रहने लगी।
राधा जी दिन भर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा में लीन रहती, उन्होंने खाना पीना सब छोड़ दिया। जब भगवान् श्रीकृष्ण जी को इस की खबर लगी, तो कृष्ण जी को बहुत बुरा लगा। राधा जी, गोपियों की यह स्थिति देख कर उन्होंने राधा जी से मिलने जाने का निर्णय लिया। जैसे जैसे वृन्दावन मार्ग से कृष्ण जी राधा जी से मिलने के निकले उपवन में बहार वापस आने लगी।कृष्ण जी मिलने आ रहे है, यह सुनकर राधा जी बहुत प्रफुल्लित हुई। वो बहुत खुश हुई, और प्रसन्न होकर गोपियों संग नाचने लगी। उनके मुख पर मुस्कान वापस आ गई। फूल खिलने लगे। एक बार फिर से पक्षी चहचहाने लगे, चारों और खुशियां बिखर गई।
राधा और गोपियाँ खुश हो गई। श्रीकृष्ण आये और राधा से मिले। राधा जी को खुश देख कर भगवान श्रीकृष्ण ने राधा जी पर फूल फेंके। भगवान् कृष्ण पर राधा जी ने भी फूल फेंके। यह देख कर सब एक दूसरे पर फूल फेकने लगे, और यहाँ से फूलों की होली की शुरुआत हुई। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन यह प्रसंग हुआ, उस दिन फुलेरा दूज होली थी। इसी उपलक्ष्य में फुलेरा दूज पर्व मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को गुलाल अर्पित कर, उन पर फूल बरसाए जाते है।
फुलेरा दूज के पर्व पर उत्तर भारत में इस दिन फूलों की होली खेली जाती है। मंदिरों को सजाया जाता है। राधा कृष्ण के साथ होली खेली जाती है।
संदर्भ: इस Phulera Dooj Vrat Katha फुलेरा दूज व्रत में जरूर पढ़े यह फुलेरा दूज व्रत की कथा, मिलेगा इस व्रत और पूजा का पूरा लाभ की पोस्ट को पढ़कर फुलेरा दूज व्रत की पूजा करते समय इस फुलेरा दूज व्रत की कथा का पाठ कर सकते हैं।