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Mauni Amavasya Puja Vidhi कब है मौनी अमावस्या? जानें मौनी अमावस्या की पूजा विधि

Mauni Amavasya Puja Vidhi कब है मौनी अमावस्या? जानें मौनी अमावस्या की पूजा विधि : माघ मास में आने वाली अमावस्या “मौनी अमावस्या” के नाम से जानी जाती है। “मौनी अमावस्या” का बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन मौन व्रत धारण करना चाहिए। इस दिन मौन धारण करते हुए सूर्य उदय से पहले स्नान करना लाभकारी रहता है।

इस दिन धार्मिक स्थल पर जाकर स्नान करने से पुण्य मिलता है। ऐसा माना जाता है की इस दिन संगम पर देव व् देवता स्नान करने आते है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने के लिए कहा जाता है। यह मास भी कार्तिक मास के सामान पुण्य मास कहलाता है। यदि “मौनी अमावस्या” सोमवार के दिन आ जाती है तो इसका महत्व व प्रभाव और दोनों से ज्यादा बढ़ जाता है।

हमारे शास्त्रों में कहा जाता है की सतयुग में जातक द्वारा तप करने से, त्रेता युग में जातक द्वारा ज्ञान से, द्वापर युग में श्री हरी की भक्ति से व् कलयुग में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों व् धार्मिक स्थल पर जाकर स्नान करके सामर्थ के अनुसार दान करना चाहिए। इस आप दान में अन्न, गर्म कपडे, धन, गो दान, भूमि, आदि का दान करना बहुत अच्छा रहता है। इस दिन तिल का दान करना भी बहुत उत्तम रहता है। पवित्र भाव से ब्राह्मण एवं परिजनों के साथ भोजन करें। हम यंहा आपको मौनी अमावस्या की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

मौनी अमावस्या 2024 में कब हैं?

वर्ष 2024 में मौनी अमावस्या 09 फरवरी, 2023 वार शुक्रवार के दिन बनाई जाएगी।

मौनी अमावस्या पूजा विधि

मौनी अमावस्या वाले दिन किसी भी पवित्र नदियों व धार्मिक स्थल पर जाकर स्नान करना चाहिए। यदि आप जाने में समर्थ नही हो तो अपने घर पर गंगाजल स्नान के जल में डालकर स्नान करना चाहिए। इस दिन विशेष रूप से भगवान “श्री विष्णु जी” व भगवान “श्री शिव शंकर जी” की पूजा करनी चाहिए। और पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान करें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करना चाहिए। यह तो आप पहले से जानते हो की इस अमावस्या को “मौनी अमावस्या” के नाम से जाना जाता है इसलिए इस दिन मौन व्रत का पालन करना चाहिए।

मौनी अमावस्या वाले दिन व्यक्ति को अपने सामर्थ के अनुसार दान करना चाहिए। दान में अन्न, गर्म कपडे, धन, गो दान , भूमि, आदि का दान करना बहुत अच्छा रहता है। इस दिन तिल का दान करना भी बहुत उत्तम रहता है। पवित्र भाव से ब्राह्मण एवं परिजनों के साथ भोजन करें। चूंकि चन्द्रमा को मन का स्वामी माना गया है, और अमावस्या को चन्द्रदर्शन नहीं होते हैं। जिससे इस दिन मन:स्थिति कमजोर होती है। अत: मौन व्रत कर मन को संयम में रखते हुए दान-पुण्य का विधान बनाया गया है।

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