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Holi Vrat Katha होली की पारम्परिक कथा जानें होली पर भक्त प्रहलाद की कहानी

Holi Vrat Katha होली की पारम्परिक कथा जानें होली पर भक्त प्रहलाद की कहानी : सनातन धर्म में होली को एक प्रमुख त्यौहार में मनाया जाता हैं। यह तो आप सब पहले से जानते हैं। की होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता हैं। हम यहां आपको होली त्यौहार मनाने की पारम्परिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। बताई जा रही Holi Vrat Katha को पढ़कर आप भी आसानी से जान सकते हैं। की हमारे सनातन धर्म में होली का पर्व इतने धूमधाम से क्यों मनाया जाता हैं।

Holi Vrat Katha होली की पारम्परिक कथा जानें होली पर भक्त प्रहलाद की कहानी

होली व्रत कब हैं? 2024

इस बार होली व्रत को मार्च महीने की 24 तारीख़, वार रविवार के दिन बनाई जायेगीं।

होली / होलिका दहन व्रत कथा

होली को लेकर हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की कथा अत्यधिक प्रचलित है। प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान पा लिया कि संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके। न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर। यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए।

ऐसा वरदान पाकर वह अत्यंत निरंकुश बन बैठा। हिरण्यकश्यप के यहां प्रहलाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे। प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप उसे जान से मारने पर उतारू हो गया। उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए लेकिन व प्रभु-कृपा से बचता रहा।

हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था। उसको वरदान था की वो आग में नहीं जलती थी। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। होलिका बालक प्रहलाद को गोद में उठा जलाकर मारने के उद्देश्य से  आग में जा बैठी। प्रभु-कृपा से  होलिका जल कर वहीं भस्म हो गई। इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई।

तत्पश्चात् हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु नरंसिंह अवतार में खंभे से निकल कर गोधूली समय (सुबह और शाम के समय का संधिकाल) में दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप को मार डाला। तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

संदर्भ: इस Holi Vrat Katha होली की पारम्परिक कथा जानें होली पर भक्त प्रहलाद की कहानी की पोस्ट में आपको होली की कथा के बारे में जानकारी दी जा रही हैं।

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