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Gangaur Mata Ki Aarti गणगौर माता आरती म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी, म्हारी मालण फुलडा से लाय

Gangaur Mata Ki Aarti गणगौर माता आरती म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी, म्हारी मालण फुलडा से लाय : गणगौर एक त्योहार है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन यानी चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से जो नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं। यह व्रत विवाहिता लड़कियों के लिए पति का अनुराग उत्पन्न कराने वाला और कुमारियों को उत्तम पति देने वाला है। इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।

Gangaur Mata Ki Aarti गणगौर माता आरती म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी, म्हारी मालण फुलडा से लाय

गणगौर माता आरती

म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी

म्हारी मालण फुलडा से लाय |

सूरज जी थाको आरत्यों जी

चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |

ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी

ईसर जी थाको आरत्यो जी

थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू

पान की पचास मेलू

पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू

डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू

राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू

करो न भाया की बहना आरत्यो जी

करो न सायब की गौरी आरत्यो जी

संदर्भ: इस Gangaur Mata Ki Aarti गणगौर माता आरती म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी, म्हारी मालण फुलडा से लाय पोस्ट की सहायता से आप गणगौर पूजा में गाई जाने वाली आरती के बारे में जानकारी दी जा रही हैं।

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