Akshaya Tritiya Puja Vidhi: अक्षय तृतीया पर इस विधि से करें पूजा विधि : अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है। अक्षय तृतीया को अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। नारद पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन व्रत, पूजन व दान करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन लक्ष्मी जी और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए।
हम यंहा आपको Akshaya Tritiya Puja Vidhi आदि की जानकारी देने जा रहे है हमारे द्वारा बताये जा रहे अक्षय तृतीया पूजा विधि Akshaya Tritiya Puja Vidhi को जानकर आप भी अक्षय तृतीया वाले दिन श्री लक्ष्मी नारायण जी की पूजा विधि सही प्रकार से कर सकते हैं ।
हमारे द्वारा बताई जा रही इस जानकारी को ध्यानपूर्वक धीरे धीरे से पढ़ें, जिससे आपके मन में इस पोस्ट को लेकर किसी भी प्रकार की कोई शंका ना रहे जाये। और यदि आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई प्रशन हैं। तो आप हमें पोस्ट के नीचे जाकर कमेंट करके अपना प्रशन पूछ सकते हैं आपको वहां जवाब दे दिया जायेगा। धन्यवाद जय श्री राम
Akshaya Tritiya Puja Vidhi: अक्षय तृतीया पर इस विधि से करें पूजा विधि
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अक्षय तृतीया पूजा कब हैं 2024
इस वर्ष 2024 में अक्षय तृतीया 10 मई, वार शुक्रवार के दिन बनाई जा रही हैं।
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त 2024
सूर्योदय से सुबह 10:42 तक,
दोपहर 12:24 से दोपहर 02:03 तक।
सांय 05:22 से सांय 07:01 तक।
बताये गये समय पर आप श्री लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते है और सोना की खरीददारी कर सकते हैं !
अक्षय तृतीया पूजा 2024 विधि
- अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
- घर की सफाई व नित्य कर्म से निवृत्त होकर पवित्र या शुद्ध जल में गंगाजल मिश्रित से स्नान करें।
- घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान श्री विष्णु जी और माँ श्री लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
अक्षय तृतीया पूजा मंत्र
बताये गए निम्न मंत्र से संकल्प करें:
ममाखिलपापक्षयपूर्वक सकल शुभ फल प्राप्तये।
भगवत्प्रीतिकामनया देवत्रयपूजनमहं करिष्ये।
- संकल्प करके भगवान श्री विष्णु जी और माँ श्री लक्ष्मी जी को पंचामृत से स्नान कराएं।
- षोडशोपचार विधि से भगवान श्री विष्णु जी और माँ श्री लक्ष्मी जी का पूजन करें।
- भगवान विष्णु को सुगंधित पुष्पमाला पहनाएं।
- नैवेद्य में जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पण करें।
- अगर हो सके तो विष्णु सहस्रनाम और श्री सूक्त का पाठ करें।
- अंत में तुलसी जल चढ़ाकर भक्तिपूर्वक आरती करें। व श्रद्धानुसार ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।