Makar Sankranti Ka Mahatva मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं? जानें दान एवं स्नान का महत्व : हम यहां आपको मकर संक्रांति के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं, मकर संक्रांति वाले दिन दान और स्नान करने का क्या महत्व हैं। इसके बारे में भी नीचे आपको विस्तार से बताएँगे, जिससे आप मकर संक्रांति विषय के बारे में सारी जानकारी जान सकें।
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मकर संक्रांति का महत्व
मकर सक्रान्ति का त्यौहार माघ माह को बनाया जाता हैं। वैसे तो Makar Sankranti 14 जनवरी को ही आती है पर कभी कभी किसी वर्ष मकर सक्रान्ति 15 जनवरी को भी आ जाती हैं। वैसे सूर्य देव जिस दिन मकर राशि में प्रवेश करते है उसी दिन मकर सक्रान्ति बनाई जाती हैं। हमारे भारत देश में मकर सक्रान्ति के त्योहार को अलग अलग नामों से जाना जाता हैं। हमारे उत्तर भारत में यह पर्व ‘मकर सक्रान्ति के नाम से जाना जाता है तो वही गुजरात राज्य में “उत्तरायण” नाम से जाना जाता है। तो उसी तरह से मकर सक्रान्ति को पंजाब राज्य में लोहडी पर्व, तो उतराखंड राज्य में उतरायणी, तो केरल राज्य में पोंगल, और गढवाल में खिचडी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है।
Makar Sankranti 2024 वाले दिन पवित्र नदियों या सरोवर आदि पर स्नान करने का महत्व है। इस दिन ख़ास कर लोग हरिद्वार, बनारस या गंगा स्थल पर नहाने जाते हैं। मकर संक्रान्ति वाले दिन भगवान सूर्य देव की विशेष रूप से पूजा उपासना की जाती है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देकर उन्हें श्वेतार्क तथा रक्त रंग के पुष्प अर्पित किये जाते हैं।
क्यों करें मकर संक्राति पर दान
Makar Sankranti 2024 वाले दिन दान करने का विशेष रूप से महत्व माना जाता हैं। इस दिन विशेष रूप से तिल या तिल से बनी हुई वस्तुओं व गुड़ दान करने का महत्व माना जाता हैं। इस दिन जो भी व्यक्ति आस्था व विश्वास के साथ यथासंभव जरूरतमंद लोगों को अन्नदान, तिल व गुड आदि का दान करते हैं तो उन्हें और दिनों की तुलना में ज्यादा पूण्य की प्राप्ति होती हैं। इसलिए Makar Sankranti वाले दिन जो भी जितना सहजता से दान कर सकते है वो करना चाहिए।
कहा जाता है की Makar Sankranti के दिन तिल का सेवन और साथ ही तिल का दान करना शुभ माना जाता है। तिल का उबटन, तिल के तेल का प्रयोग, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित जल का पान, तिल- हवन, तिल की वस्तुओं का सेवन व दान करना व्यक्ति के पापों में कमी लाता है।
Makar Sankranti के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है. इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है।