Kamada Ekadashi Vrat Katha कामदा एकादशी वाले दिन जरूर सुनें या पढ़ें यह व्रत कथा, होगी सारी मनोकामना पूर्ण : कामदा एकादशी व्रत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है पुराणों के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत जो भी जातक सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं मान्यता है कि इस दिन जो भी व्रत करता है उसके समस्त पाप नाश हो जाते हैं और मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है कामदा एकादशी का व्रत रखने व्रती को प्रेत योनि से भी मुक्ति मिल सकती है।
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Kamada Ekadashi Vrat Katha कामदा एकादशी वाले दिन जरूर सुनें या पढ़ें यह व्रत कथा, होगी सारी मनोकामना पूर्ण
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कामदा एकादशी व्रत कब हैं? 2024
पंचांग के अनुसार इस वर्ष Kamada Ekadashi 2024 में 19 अप्रैल, वार शुक्रवार के दिन मनाई जायेगी।
कामदा एकादशी तिथि प्रारम्भ: सांय 05:32 मिनट से (18 अप्रैल 2024 से)
कामदा एकादशी तिथि समाप्त: रात्रि 08:05 मिनट से (19 अप्रैल 2024 तक)
पारण का समय (व्रत तोड़ने का समय): सुबह 05:49 मिनट से सुबह 08:25 मिनट तक (20 अप्रैल 2024 को)
द्वादशी तिथि समापन का समय: रात्रि 10:41 मिनट बजे तक (20 अप्रैल 2024 को)
कामदा एकादशी व्रत कथा
एक बार धर्मराज युद्धिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के सामने चैत्र शुक्ल एकादशी का महत्व, व्रत कथा व पूजा विधि के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे कुंते बहुत समय पहले वशिष्ठ मुनि ने यह कथा राजा दिलीप को सुनाई थी वही मैं तुम्हें सुनाने जा रहा हूं।
रत्नपुर नाम का एक नगर होता था जिसमें पुण्डरिक नामक राजा राज्य किया करते थे। रत्नपुर का जैसा नाम था वैसा ही उसका वैभव भी था। अनेक अप्सराएं, गंधर्व यहां वास करते थे। यहीं पर ललित और ललिता नामक गंधर्व पति-पत्नी का जोड़ा भी रहता था। ललित और ललिता एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, यहां तक कि दोनों के लिये क्षण भर की जुदाई भी पहाड़ जितनी लंबी हो जाती थी।
एक दिन राजा पुण्डरिक की सभा में नृत्य का आयोजन चल रहा था जिसमें गंधर्व गा रहे थे और अप्सराएं नृत्य कर रही थीं। गंधर्व ललित भी उस दिन सभा में गा रहा था लेकिन गाते-गाते वह अपनी पत्नी ललिता को याद करने लगा और उसका एक पद थोड़ा सुर से बिगड़ गया। कर्कोट नामक नाग ने उसकी इस गलती को भांप लिया और उसके मन में झांक कर इस गलती का कारण जान राजा पुण्डरिक को बता दिया। पुण्डरिक यह जानकर बहुत क्रोधित हुए और ललित को श्राप देकर एक विशालकाय राक्षस बना दिया।
अब अपने पति की इस हालत को देखकर ललिता को बहुत भारी दुख हुआ। वह भी राक्षस योनि में विचरण कर रहे ललित के पिछे-पिछे चलती और उसे इस पीड़ा से मुक्ति दिलाने का मार्ग खोजती। एक दिन चलते-चलते वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जा पंहुची और ऋषि को प्रणाम किया अब ऋषि ने ललिता से आने का कारण जानते हुए कहा हे देवी इस बियाबान जंगल में तुम क्या कर रही हो और यहां किसलिये आयी हो।
तब ललिता ने सारी व्यथा महर्षि के सामने रखदी। तब ऋषि बोले तुम बहुत ही सही समय पर आई हो देवी। अभी चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि आने वाली है। इस व्रत को कामदा एकादशी कहा जाता है इसका विधिपूर्वक पालन करके अपने पति को उसका पुण्य देना, उसे राक्षसी जीवन से मुक्ति मिल सकती है। ललिता ने वैसा ही किया जैसा ऋषि श्रृंगी ने उसे बताया था। व्रत का पुण्य अपने पति को देते ही वह राक्षस रूप से पुन: अपने सामान्य रूप में लौट आया और कामदा एकादशी के व्रत के प्रताप से ललित और ललिता दोनों विमान में बैठकर स्वर्ग लोक में वास करने लगे।
मान्यता है कि संसार में कामदा एकादशी के समान कोई अन्य व्रत नहीं है। इस व्रत की कथा के श्रवण अथवा पठन मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
संदर्भ: इस Kamada Ekadashi Vrat Katha कामदा एकादशी वाले दिन जरूर सुनें या पढ़ें यह व्रत कथा, होगी सारी मनोकामना पूर्ण की पोस्ट में आपको कामदा एकादशी के दिन पूजा व्रत कथा के बारे बताया गया हैं, इस कामदा एकादशी व्रत कथा को आपको पूजा अर्चना करते समय पाठ करने का महत्व हैं।