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Holi Puja Vidhi होली पूजा की सम्पूर्ण विधि यहां देखें, जानें होली पूजा का शुभ मुहूर्त

Holi Puja Vidhi होली पूजा की सम्पूर्ण विधि यहां देखें, जानें होली पूजा का शुभ मुहूर्त : होली का नाम सुनते ही अपने मन व दिल में आनन्द व उल्लास के गुब्बारे खिल जाते है। क्योंकि यह पर्व ही कुछ ऐसा है। होली का पर्व सारे देश में किसी ना किसी रूप में बनाया जाता है। यह तो आप सब जानते हो की होली हर वर्ष की फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनायी जाती है। तथा भद्रारहित समय में होली का दहन किया जाता हैं। हमारे द्वारा बताये जा रहे Holi Puja Vidhi को पढ़कर आप भी होली की पूजा सही तरह से कर सकते हैं।

Holi Puja Vidhi होली पूजा की सम्पूर्ण विधि यहां देखें, जानें होली पूजा का शुभ मुहूर्त

होली पूजा कब है? 2024

होली पूजा फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को की जाती हैं। इस साल आप Holi Puja 2024 में 24 मार्च, में वार रविवार की जायेगी।

होली पूजा शुभ मुहूर्त 2024

सुबह 09:33 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक,

दोपहर 02:05 बजे से दोपहर 03:35 बजे तक,

ऊपर बताये गये समय में Holi Puja करना शुभ रहेगा।

होली पूजा सामग्री

आप Holi Puja में गोबर से बने बड़कूले, रोली, मौली, अक्षत, धुपबत्ती, फूलमाला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग-चावल, फूले, बताशे, गुलाल, नारियल, जल का लोटा, गेहूं की नई हरी बालियां, हरे चने का पौधा आदि ।

होली पूजा में बड़कूले कितने होने चाहिए

होली पूजा से दस बारह दिन पहले शुभ दिन देखकर गोबर से सात बड़कूले बनाये जाते है। गोबर से बने बड़कूले को भरभोलिए भी कहा जाता है। पाँच बड़कूले छेद वाले बनाये जाते है ताकि उनको माला बनाने के लिए पिरोया जा सके।

दो बड़कूले बिना छेद वाले बनाये जाते है । इसके बाद गोबर से ही सूरज, चाँद, तारे, और अन्य खिलौने बनाये जाते है। पान, पाटा, चकला, एक जीभ, होला–होली बनाये जाते है। इन पर आटे, हल्दी, मेहंदी, गुलाल आदि से बिंदियां लगाकर सजाया जाता है। होलिका की आँखें चिरमी या कोड़ी से बनाई जाती है। अंत में ढाल और तलवार बनाये जाते है।

बड़कूले से माला बनाई जाती है। माला में होलिका, खिलोंने, तलवार, ढाल आदि भी पिरोये जाते है। एक माला पितरों की, एक हनुमान जी की, एक शीतला  माता की और एक घर के लिए बनाई जाती है। बाजार से तैयार माला भी खरीद सकते है। यह Holi Puja में काम आती है।

होली पूजा विधि

आप Holi Puja करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। जल की बूंदों का छिड़काव आसपास तथा पूजा की थाली और खुद पर करें। इसके पश्चात नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।

इसी प्रकार भक्त प्रह्लाद को स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात् होलिका को रोली, मौली, चावल अर्पित करें, पुष्प अर्पित करें, चावल मूंग का भोग लगाएं। बताशा, फूले आदि चढ़ाएं। हल्दी  मेहंदी, गुलाल, नारियल और बड़कूले चढ़ाएं। हाथ जोड़कर होलिका से सुख समृद्धि की कामना करें।

सूत के धागे से होलिका के चारों ओर घूमते हुए तीन, पाँच या सात बार लपेट दें। जल का लोटा वहीं पूरा खाली कर दें। इसके बाद होली का दहन किया जाता है। पुरुषों के माथे पर तिलक लगाया जाता है। होली जलने पर रोली चावल चढ़ाकर सात बार अर्घ्य देकर सात परिक्रमा करनी चाहिए।

मंत्र: “असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।”

Holi Puja Mantra का उच्चारण करते हुए होलिका की सात परिक्रमा करें।

इसके बाद साथ लाये गए हरे गेहूं और चने होली की अग्नि में भून लें। होली की अग्नि थोड़ी सी अपने साथ घर ले आएं। ये दोनों काम बड़ी सावधानी पूर्वक करने चाहिए। होली की अग्नि से अपने घर में धूप दिखाएँ। भूने हुए गेहूं और चने प्रसाद के रूप में ग्रहण करे।

होली पूजा मंत्र

होली पूजा के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहि‌ए:

अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः ।

अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्‌ ॥

होलिका दहन के पश्चात उसकी जो राख निकलती है, जिसे होली – भस्म कहा जाता है, उसे शरीर पर लगाना चाहि‌ए। होली की राख लगाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहि‌ए:

वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च।

अतस्त्वं पाहि माँ देवी ! भूति भूतिप्रदा भव॥

ऐसा माना जाता है, कि होली की जली हु‌ई राख घर में समृद्धि लाती है। साथ ही ऐसा करने से घर में शांति और प्रेम का वातावरण निर्मित होता है।

संदर्भ: इस Holi Puja Vidhi होली पूजा की सम्पूर्ण विधि यहां देखें, जानें होली पूजा का शुभ मुहूर्त की पोस्ट में आपको होली की पूजा विधि और उसके शुभ पूजा मुहूर्त की जानकारी के बारे में जान सकते हैं।

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