Amavasya Puja Vidhi अमावस्या के दिन पितृ पूजा कैसे करें जानें पूरी विधि : बहुत से जातक को ये नहीं पता होता है की अमावस्या के दिन पितृ पूजा कैसे करें उनकी यही बातों को ध्यान में रखते हुए हम आपको अमावस्या में पितृ पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे है इस पोस्ट को पढ़ने के बाद ज्यादा से ज्यादा जातकों को यह पता चल जायेगा की अमावस्या में पितृ पूजा कैसे की जाती है आप भी अमावस्या में पितृ पूजा को जानकर पितृ की विधि पूर्वक से पूजा अर्चना कर सकते है।
यह तो आप सब जानते हो की सनातन शास्त्रों व धर्म का एक यह भी एक अंग है पितृ पूजा भी है यह एक क्रिया योग या कर्मयोग। शास्त्रानुसार कहा जाता है की हर पितृ अमावस्या को अपराह्न काल में हर गृहस्थ के द्वार देश में अन्न जल की इच्छा लिए हुए एक प्रहर तक पितृ देवता विराजते है। अतः प्रत्येक सनातनी (हिन्दू) गृहस्थ का कर्तव्य है की वह उस समय श्राद्ध तर्पण से उन्हें तृप्त करे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको अमावस्या में पितृ पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे है।
हमारे द्वारा बताई जा रही इस जानकारी को ध्यानपूर्वक धीरे धीरे से पढ़ें, जिससे आपके मन में इस पोस्ट को लेकर किसी भी प्रकार की कोई शंका ना रहे जाये। और यदि आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई प्रशन हैं। तो आप हमें पोस्ट के नीचे जाकर कमेंट करके अपना प्रशन पूछ सकते हैं आपको वहां जवाब दे दिया जायेगा। धन्यवाद जय श्री राम
Amavasya Puja Vidhi अमावस्या के दिन पितृ पूजा कैसे करें जानें पूरी विधि
जीवन भर के उपाय के साथ बनवाये वैदिक जन्म कुण्डली केवल 500/- रूपये में
10 साल उपाय के साथ बनवाए लाल किताब कुण्डली केवल 500/- रूपये में
अमावस्या में पितृ पूजा विधि
प्रत्येक पितृ अमावस्या को अपराह्ण काल में (5 मे से दिन के तीसरे चोथे हिस्से में) या 12 से 4 बजे के बीच में दिन मे अपने घर के दक्षिण दिशा में स्थित कक्ष में दक्षिण दिशा मध्य में दक्षिण मुखी होके अपने पितरो की अमावस्या में पितृ पूजा विधि की जाती है. सबसे Amavasya Puja Vidhi करने से पहले उस स्थान पर गोबर या पंचगव्य से गोल चोका लगाके शुद्धि करें फिर उस पर पाटा लगाके या भूमिपर ही सफ़ेद या पीला कपडा बिछावे। शुद्ध आसन पर दक्षिण की तरफ मुह करके आसन व स्वयं की गंगाजल युक्त जल से (छींटा देके) शुद्दि करें। व पूर्वमुखी होके आचमन प्राणायाम और संकल्प करें। स्वस्तिवाचन या गुरु मंत्र से रक्षा बांधे !
आसन शुद्धि मंत्र :– “ॐ सिद्धासनाय नमः”।
स्व शुद्धि मन्त्र :– “ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः”।
आचमन मन्त्र :– ॐ केशवाय नमः स्वाहा।, ॐ नारायणाय नमः स्वाहा।, ॐ माधवाय नमः स्वाहा। (प्रति मन्त्र बोलकर दायें हाथ के ब्रह्म तीर्थ से 3 बार जल पीना आचमन कहलाता है)
उस वस्त्र पर काले तिल से अर्धचंद्र की दक्षिण मुखी आकृति बनाके उस पर गाय के घी या तिल के तेल का दक्षिण मुखी दीपक करें। दीपक मिटटी या स्टील लोहे का न होके चांदी ताम्बे या पीतल का हो। दीपक में द्रव्य (तेल आदि) इतना ही रखे की 4 बजे के बाद दिया स्वतः पूरा हो जाए (उससे ज्यादा न चले)
अमावस्या में पितृ पूजा संकल्प विधि
संकल्प:- हाथ में जल जौ कुशा लेके विष्णुः3 अद्य यथा समये स्थाने ( यहाँ समय और स्थान में अपने देश राज्य जिला तहसील गाँव नगर मोहल्ले और भवन का नाम तथा हिंदी वर्ष माह तिथि नक्षत्र वार और चंद्र सूर्य राशि बोली जाती है) अमुक नाम गोत्रोsहं(यहाँ अपना नाम गोत्र बोला जाता है) अद्य पितृआमावस्यां तिथौ मम सर्व पित्र्रीणां क्षुधा पिपासा निवृत्ति द्वारा अक्षय तृप्ति कामनया तान् ऊर्ध्वगति प्राप्त्यर्थे ममोपरि पितृकृपा प्राप्त्यर्थम् च पितृपूजां आमान्न दानं च करिष्ये। कहके जौ जल छोडे।
रक्षाकरण– स्वस्तिरस्तु। सहस्रार हुम् फट् मन्त्र से जौ चारों दिशाओं में फेके।
तब पुष्प लेके अपने दिवंगत सभी पितरों का नाम गोत्र या विशेषण आदि बोलकर कम से कम अपने पिता की तीन और माता की तीन पीढ़ी तक के ज्योतिरूप पितरों का ध्यान करके ॐ “ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा” मंत्र से दीपक के पास जौ छोड़े ।उपरोक्त मन्त्र बोलकर “आवाहनासनं समर्पयामी “बोलके पुनः जौ छोड़े। और दीपक के चारों और कुशा रखे।
तब आये हुए पितरों का पूजन करे। अर्थात उपरोक्त मन्त्र से वहीँ दीपक के पास उन्हें जल ,लच्छा, जनेऊ ,चन्दन ,पुष्प(पीले या सफ़ेद ही), धुप अन्य दीप,प्रशाद,(खीर या मिठाई) फल दक्षिणा अर्पण करें। अर्थात मन्त्र बोलकर उपरोक्त वस्तुओं का नाम लेके समर्पयामी से चढ़ावे। जैसे:–“ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा”।
1. जल —“ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा” पाद्य-अर्घ्य-आचमनीय-स्नानीय-जलं समर्पयामी।.
2. लच्छा –“ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा” वस्त्रं समर्पयामी।
3. जनेऊ — “ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा”, यग्न्योपवीतं समर्पयामी।
4. चन्दन –,”ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा” चन्दनं समर्पयामी।
5. पुष्प (पीले या सफ़ेद ही) –,”ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा” पुष्पं समर्पयामी।
6. धुप — “ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा” धूपं आघ्रापयामि।
7. अन्य दीप –,”ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा”दीपं दर्शयामी।
8. प्रसाद –“ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा”नैवेद्यं निवेदयामि
9. फल –,”ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा”फलं
10. दक्षिणा –“ह्रीं पितृभ्यो नमःस्वधा”दक्षिणां अर्पयामी।
फिर हाथ में जौ जल लेकर निम्न संकल्प बोलकर पहले से रखे सीधे कच्चे अन्न (एक व्यक्ति के भोजन परिमाण का आटा दाल चावल घी शक्कर सब्जी हल्दी काली मिर्चा सैंधव नमक आदि) में जौ जल छोड़े।।
Amavasya Puja संकल्प मंत्र — ॐ अद्य उक्त समये स्थाने मम सर्व पित्र्रीणां क्षुधा पिपासा निवृत्यर्थे अक्षय तृप्ति कामनया इदं आमान्नं यथोपलब्ध ब्राह्मणाय दातुमहमुत्सृजे । दास्ये वा।।
इस तरह 10 या 5 जो भी चीजें उपलब्ध हो भक्ति भाव से चढ़ावे। फिर उपरोक्त Amavasya Puja मन्त्र ( ह्रीं पितृभ्यो नमः) की एक माला या 108 जप करे।
क्षमा प्रार्थना करें :– “यदक्षर पदभ्रष्टम् मात्राहीनं च यद्भवेत् । तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर” ।।
अर्पण :- हाथ में जल लेकर –अनेन यथा ज्ञानेन यथोपलब्ध द्रव्येण कृत पितृ पूजा कर्म श्री पितृस्वरूप जनार्दनः प्रीयतां नमः।।फिर खाली बर्तन की टंकार से “ह्रीं पितृभ्यो नमः विसर्जयामी “।। कहके जल छोडे । ।। इति ।।।
संदर्भ: इस Amavasya Puja Vidhi अमावस्या के दिन पितृ पूजा कैसे करें जानें पूरी विधि की पोस्ट में आपको अमावस्या के दिन किस प्रकार से पितृ देव पूजा करनी चाहिए, इस बारे में विस्तार से पूरी विधि बताई जा रही हैं।