Amalaki Ekadashi Puja Vidhi जानें आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि कैसे करें : हम आपको यंहा आमलकी एकादशी व्रत की सम्पूर्ण पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। हमारे द्वारा बताई जा रही आमलकी एकादशी पूजा विधि को पढ़कर आप इस व्रत की पूजा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं इस पोस्ट की सहायता से आप भी आमलकी एकादशी के दिन पूजा विधि सही तरह से कर सकते है। हमारे द्वारा बताये जा रहे Amalaki Ekadashi Puja Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके आमलकी एकादशी की पूजा कर सकते हैं।
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Amalaki Ekadashi Puja Vidhi जानें आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि कैसे करें
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आमलकी एकादशी का महत्व
हमारे हिन्दू पुराणों के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आमलकी शब्द का अर्थ आंवला होता है, इसलिए इस कारण से इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना की जाती है। आमलकी एकादशी के बारे में कई जगहों पर इसका विशेष वर्णन किया गया है। आमलकी एकादशी का व्रत करके आवंले के वृक्ष की पूजा की जाये तो मनुष्य को सौ गायों को दान जितना पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके पापों का नाश होता है।
आमलकी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त
आमलकी एकादशी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से सुबह 9:34 मिनट बजे तक, सुबह 11:05 मिनट से दोपहर 12:33 मिनट तक और दोपहर 03:34 मिनट से सांय 06:32 मिनट तक रहेगा, इस समय अन्तराल में आप आमलकी एकादशी व्रत पूजा विधि कर सकते है।
आमलकी एकादशी की पूजा विधि
हम यहां आपको Amalaki Ekadashi Puja Vidhi कैसे करें, इसके बारे में नीचे विस्तार से बताने जा रहे हैं:
- फाल्गुन मास की दशमी तिथि को व्रती को रात्रि में भगवान श्री विष्णु जी का स्मरण करके सोएं। फिर अगले दिन एकादशी को सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ़ वस्त्र धारण करके भगवान श्री विष्णु जी के सामने हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर व्रत करने संकल्प करें।
- इसके बाद भगवान श्री विष्णु जी का विधिवत पूजन करें और फिर आंवले के वृक्ष के नीचे की जगह को साफ करके आंवले वृक्ष की पूजा करें। या आप अपने घर पर आंवले की डाल लाकर भी पूजा कर सकते है।
- उसके बाद आंवले के वृक्ष की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापना करें। फिर कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें। कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें और दीप प्रज्जवलित करें।
- फिर आप कलश पर श्रीखंड और चंदन का लेप लगाएं और उसके चारो ओर वस्त्र लपेट दें। इसके बाद आप कलश के ऊपर भगवान श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से उनकी पूजा करें। रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें।
- अगले दिन सुबह द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दें, और परशुराम जी की मूर्ति और कलश उन्हें दे दें। इसके बाद आप भी भोजन करके अपना व्रत पूरा करें।
संदर्भ: इस Amalaki Ekadashi Puja Vidhi जानें आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि कैसे करें की पोस्ट में आपको आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि और शुभ पूजा मुहूर्त के बारे में जानकारी के बारे में जान सकते हैं।