Basant Panchami Puja Vidhi इस विधि से करें बसंत पंचमी पर पूजा अर्चना : हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पंचमी को Basant Panchami के रूप में मनाया जाता है। बसंत का शाब्दिक अर्थ है मादकता। इस समय धरती पर उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है, वृक्षों में नई कपोलें आने लगती है, पौधों में नयी कलियाॅ प्रस्फुटित होेने लगती है। वसंत पंचमी से पाॅच दिन पहले से ही वसंत ऋतु आरम्भ हो जाती है। इस समय चारों ओर हरियाली व खुशहाली का वातावरण छाया रहता है।
जीवन भर के उपाय के साथ बनवाये वैदिक जन्म कुण्डली केवल 500/- रूपये में
10 साल उपाय के साथ बनवाए लाल किताब कुण्डली केवल 500/- रूपये में
हर तरफ रंग-बिरंगे फूल दिखाई पड़ने लगते है। खेतों में पीली सरसों लहलहाती हुयी हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है। बसंत पंचमी के कामदेव व रति की पूजा की जाती है एंव इसी दिन माता सरस्वती का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। देवी भागवत के अनुसार देवी माँ सरस्वती जी की पूजा सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण जी ने की थी।
बसंत पंचमी 2024 में कब है?
इस वर्ष 2024 में बसंत पंचमी फरवरी की 14 तारीख, वार बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त 2024
सूर्योदय से 09:55 बजे तक, (लाभ एवं अमृत चौघड़िया में)
सुबह 11:19 बजे से दोपहर 12:41 बजे तक, (शुभ चौघड़िया में)
दोपहर 03:28 बजे से संध्या 06:13 बजे तक, (चर एवं लाभ चौघड़िया में)
बसंत पंचमी पूजा सामग्री
एक लकड़ी की चौकी और लाल वस्त्र या सफ़ेद कपड़ा, माँ सरस्वती जी प्रतिमा या मूर्ति, शुद्ध घी का दीपक, मोली रोली, इत्र, सफ़ेद और पीले पुष्प और उसकी माला, खीर, सफ़ेद मिठाई, नयी पुस्तक और कलम।
बसंत पंचमी पूजा विधि
सबसे पहले जातक Basant Panchami Puja Vidhi करने से पहले स्नान आदि से निवृत होकर पीले कपड़े धारण करके पीले आसान पर उत्तर या पूर्व मुखी होकर बैठ जाये। सर्वप्रथम चौकी पर सफ़ेद या लाल कपड़ा बिछाकर माँ सरस्वती जी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लें। उसके पास में श्री गणेश जी की फोटो या मूर्ति स्थापित करें। क्योकि हमारे हिन्दू धर्म अनुसार प्रथम पूज्य देवता श्री गणेश जी और श्री सरस्वती जी दोनों ही ज्ञान और बुद्धि के देवी और देवता है। और यह तो आप सब जानते हो की भगवान श्री गणेश जी की हर पूजन कार्य में सबसे प्रथम पूजा की जाती हैं। इसके बाद श्री सरस्वती ध्यान मंत्र का जाप करें।
बसंत पंचमी पूजा ध्यान मंत्र
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापनीं ।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।2।।
फिर उसके बाद दोनों देवी देवताओ का पंचोपचार विधि से पूजन करें। उसके बाद आचमन करके स्नान कराये। इसके बाद दूर्वा से शुद्ध जल के छीटे देकर स्नान करा दे। उसके बाद इन्हे मोली अर्पित करके सफ़ेद या लाल पुष्प अर्पित करके पुष्पों की माला पहनाये। और इत्र छिडके। शुद्ध घी का दीपक जलाये और धुप बत्ती जलाये। और फिर श्री गणेश स्तुति का पाठ करे। और फिर उसके अंत में ज्ञान विद्या और कला के लिए माँ सरस्वती वंदना करे।
नयी कलम और पुस्तक पर रोली मोली से पूजा कर कलम से पुस्तक पर “श्री गणेशाय नमः” और “ॐ श्री सरस्वत्यै नमः” लिखे। रोली से स्वस्तिक बनाये और चावल चढ़ाये। उसके बाद दोनों देवी देवता को खीर या अन्य सफ़ेद वस्तुओं का भोग अर्पित करे। बताये गए मंत्र की 11, 21 या 108 बार जाप कर सकते हैं।
बसंत पंचमी पूजा मंत्र
“ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।”
उसके बाद आप इच्छा अनुसार श्री सरस्वती स्तोत्र, श्री सरस्वती 108 नाम का जाप करें। हमें पूर्ण आशा है की माँ आपकी Basant Panchami Puja Vidhi से प्रसन्न होकर आप पर कृपा बढ़ाएगी।